पुस्तकक नाम-  कोइलख। लेखक-सम्पादक  श्री हितनाथ झा। प्रकाशक- प्रियदर्शी प्रकाशन, 217, पाटलीपुत्र कॉलोनी, पटना- 800013. प्रकाशन वर्ष- 2017 ई., प्राप्तिस्थान- (1) श्री हितनाथ झा, जयप्रभा नगर, मारखम कालेज के निकट, बड़कागाँव रोड, हजारीबाग- 825301. मो. 9430743070, ईमेल hitnathjha@gmail.com (2) प्रो. भीमनाथ झा, छपकी पड़री, (पंचायत भवन से दक्षिण), लक्ष्मीसागर, दरभंगा-846009 (3) जानकी पुस्तक केन्द्र- गोशाला चौक, मधुबनी-847211. मूल्य 400.00. मुद्रक प्रिंटवेल, टावर, दरभंगा। पृष्ठ संख्या- 210. सजिल्द।

विवेच्य पुस्तक कोइलख गामक सारस्वत परम्पराक इतिहास थीक। एहिमे 39 दिवंगत एवं 6 जीवित व्यक्तिक परिचयक संग हुनक कृतिक सूचना संक्षेपमे देल गेल अछि। आरम्भमे कोइलखक प्रसंग आचार्य सुरेन्द्र झा सुमन एवं प्रो. भीमनाथ झा उद्गार देल गेल अछि। कोइलख मे अवस्थित 7 टा संस्थाक परिचयक संग एक शिवमन्दिर वनखण्डीनाथ महादेव मन्दिरक पुरातात्त्विक महत्त्व पर एक आमन्त्रित आलेख अछि। परिशिष्ट भागमे आचार्य सुरेन्द्र झा सुमन, मोहन भारद्वाज, पं. बलदेव मिश्र ज्यौतिषी, प्रो. भीमनाथ झा, प्रो. विद्य़ापति ठाकुर एवं डा. दमन कुमार झाक एक एक आलेख अछि।

हमरा जनैत पुस्तक कें देखबाक दूटा दृष्टि होइत छैक- पहिल जे, जे अछि , से केहन अछि? जे नै छैक तकर चर्चे कोन? लिखबाक लेल तँ बहुत किछु छैक! एखनि एतबे सँ सन्तोष।

मुदा दोसर दृष्टि होइत छैक जे आर की की रहबाक चाही।

स्पष्ट अछि जे पहिल दृष्टि टकसाली समीक्षा थिक, जतए ममत्व नै रहै छैक, दोसरक बेटाक गुण-दोषक विवेचन जकाँ। मुदा दोसर प्रकारक दृष्टि अपन वस्तुकें देखबाक दिशा थीक।

पहिल प्रकारक दृष्टिमे पुस्तक बड नीक अछि। एहू दृष्टिमे हम कने उमापतिक परिचय पर रुकब। एकटा शुद्धिनिर्णयकार पगौलीमूलक धर्मशास्त्री उमापति छलाह। एकरा फरिछाएब आवश्यक। कारण जे राघवसिंहक कालमे जे उमापति छलाह हुनक लिखाओल एकटा व्यवस्थापत्र हमरा लग अछि। गोकुलनाथक गुरु धर्मशास्त्री उमापति रहथि। आ तखनि शुद्धिनिर्णय सेहो हुनके रचना भए सकैत अछि।

कोइलखक एकटा आर महामहोपाध्याय भैयन शर्मा भेटैत छथि। पद्मानन्दविनोद नाटकमे भराम ग्रामक वासी म.म. मधुसूदन मिश्र लिखैत छथि जे कोइलख गामक वासी भैय्यन झाक दौहित्रक पौत्र लीलानन्द सिंह रहथि आ हुनके दौहित्रक दौहित्र कवि म.म. मधुसूदन मिश्र रहथि।

पद्मानन्दविनोद नाटकम्, अंक- 5, पृ. 29

वस्तुतः बनैलीक राजा दुलार सिंहक एक विवाह कोइलखक सरिसब मूलक चतुर्भुज झाक पुत्र भैयन झाक कन्यासँ भेल छल, जनिक पुत्र रहथि राजा सर्वानन्द सिंह आ महाराज वेदानन्द सिंह। हुनका महामहोपाध्याय कहल गेल अछि। ओहि भैयन झाक अन्वेषण होएबाक चाही। हुनक रचना सेहो हुनक वंशज लोकनिक घरमे भेटि सकैत अछि।

एखनि हम आशा करैत करैत छी जे एतबा तँ संकलित भए गेल आरो काज होइत रहत।

दोसर दृष्टिसँ देखला पर किछु निराशा हाथ लगैत अछि। पुस्तकक शीर्षक थीक- कोइलख। मात्र सारस्वत इतिहास कोनो गामक सम्पूर्णताक द्योतक नै भए सकैत अछि। एक पृष्ठ पर साख्यिकीय सूचना दए देलासँ लेखक कर्तव्य समाप्त नै भए जाइत अछि। जँ पुस्तकक शीर्षक मे सारस्वत इतिहासक संकेत कए देल गेल रहैत तँ उचित होइत। मुदा एतए गामक इतिहास संकेतित अछि। गामक इतिहास-लेखन मे गामक सभ जातिक लोकक विवरण होएबाक चाही। कतेक हलुआइ, कतेक राजमिस्त्री, कतेक गवैया आर आर गुनी लोकनि, अपन अपन काजमे विशिष्ट लोक सभ जातिमे भेटि जेताह। सभटाक सर्वेक्षणक अपेक्षा छैक। कोन कोन मूलक ब्राह्मण एतए रहैत छथि हुनक सामाजिक आ ऐतिहासिक आ पुरातात्त्विक परिप्रेक्ष्यमे कोइलखकें देखल जएबाक चाही। गाममे कोन कोन पूज्य थान सभ अछि, गाममे कोन कोन नामसँ डीह अछि, सभटाक सर्वेक्षण अपेक्षित छैक। कोइलखक बाधमे सेहो कतेको डीह होएत। कमलाक एकटा धाराक कछेरमे बसल गाम, जतए सँ पालकालक अवशेष सभ भेटैत अछि, ओहि डीह सभक नाम संकलित रहितैक।

जें कि एकर नामकरण सोझे “कोइलख” कएल गेल अछि तें एतेक रास अपेक्षा अछि, अव्याप्ति दोष आबि जाइत अछि।

अस्तु, जे अछि से नीक अछि। मानि लिय जे ई कोइलखक सारस्वत इतिहास थीक। तखनि पुस्तक देखि मोन आह्लादित भए जाइत अछि। एकर पठनीयता छैक। सुन्दर छपाइ आकर्षक अछि।

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