अथ हनुमद्ध्वजारोपण ।।

हनुमानजीक धुजाक पूजा करबाक लेल मिथिलामे अनेक पद्धति अछि। एकटा पद्धति पं. गंगाधर मिश्रक सेहो छनि जे म.म. अमृतनाथक कृत्यसारसमुच्चयक परिशिष्टमे देल गेल अछि। एकटा पद्धति पं. रामचन्द्र झाक वर्षकृत्यमे सेहो अछि। एकर एकटा पाण्डुलिपि सेहो उपलब्ध भेल अछि, जाहिमे वायुपुराणक आधार पर पद्धति देल अछि। एतए मिथिलाक प्रसिद्ध ज्योतिषी एवं कविवर पं. सीताराम झा क बहुत उपयोगी पुस्तक पर्व-निर्णय आधार पर देल जा रहल अछि। आशा अछि जे शीघ्रे पाण्डुलिपिक आधार पर सेहो पद्धति उपलब्ध कराएब।

[ मिथिलामे सेहो बहुत गाममे पीपरक गाछ तर हनुमानजीक ध्वजाक स्थापित होइत अछि। ई ध्वज यद्यपि कोनो शनि अथवा मंगल दिनकें स्थापित कएल जा सकैत अछि मुदा रामनवमी एवं हनुमान-जयन्तीकें स्थापित करब विशेष फलदायक होइत अछि। जँ पहिनेसँ स्थापित अछि तँ रामनवमी एवं हनुमान-जयन्ती (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) कें ध्वज-परिवर्तन होइत अछि। माने पुरान ध्वजक पूजा कए ओकरा विसर्जित कए पुनः नव धुजा लगैत अछि। किछु लोक अपन घरोमे ई ध्वज लगबैत छथि आ प्रतिदिन ओहि स्थानकर पूजा करैत छथि।। एकर पूजा-विधि एतए देल जा रहल अछि। यद्यपि हनुमानजीक धुजा पूजाक बहुता रास पद्धति छैक मुदा जँ मिथिलामे छी तँ ओहि ठामक पारम्परिक पूजा-पद्धति अपनाबी।]

शनि वा मंगल दिनमे वा कोनो शुभ तिथिमे मध्याह्न समयमे नित्य कृत्य कए दश हाथसँ नम्हर खूब सोझ (जड़ि सहित हो तँ उत्तम) बाँस आनि, जलसँ धोए, सिन्दूर लेपि तथा अगिला भागमे त्रिकोणाकार लाल पताका लगाय, पूजनक सामग्री सहित पूजाक स्थानमे राखि तेकुशा तिल जल लए–
संकल्प-
ॐ अद्य अमुकमासीय-अमुकपक्षीय-अमुक-तिथौ अमुकगोत्रस्य मम श्रीअमुकशर्मणः उपस्थितशरीराविरोधेन-सकलोपद्रवनिवृत्तिपूर्वक-दीर्घायुष्ट्व-बल-पुष्टि-नैरुज्य-प्राप्तिकामो हनुमद्ध्वजदानं तदङ्गदेवतापूजन चाहं करिष्ये।’
एहि प्रकारें संकल्प कए

ससीतरामलक्ष्मणक पूजा-

अक्षत लए-

(एतए पं. सीताराम झा अक्षतक उपयोग कएने छथि। तें अक्षत देल अछि। मुदा श्रीरामकें विष्णुक स्वरूप मानल जाइत अछि आ विष्णु-पूजामे अक्षतक प्रयोग नहिं कएल जाए सेहो परम्परा अछि। पं. रामचन्द्र झा तिलक प्रयोग करबाक संकेत केने छथि। पं, गंगाधर झाक सेहो सैह मत छनि। मुदा अगस्त्य-संहिताक पूजा-पद्धतिमे श्रीरामक पूजामे अक्षतक प्रयोग कएल गेल अछि। प्रतीत होइत अछि जे जे श्रीरामकें विष्णुक अंशावतारक रूपमे पूजा करैत छथि से तिलक प्रयोग करैत छथि। आ जे श्रीरामकें पूर्ण ब्रह्म मानैत छथि से अक्षतक प्रयोग करैत छथि। मिथिलासँ प्राप्त रामनवमीपूजाक पद्धतिमे यवसँ आवाहनक संकेत कएल गेल अछि। एतए पूजक स्वयं निर्णय लेथि।)

ॐ भूर्भुवः स्वः ससीतरामलक्ष्मणाविहागच्छतमिहतिष्ठतम् ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयंस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ ।
इदमनुलेपनम् ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ । ।।
एते तिलाः ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ । ।
इदं पुष्पं ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ । ।
एतानि गन्धपुष्पधूपदीपताम्बूलयथाभागनानाविधनैवेद्यानि ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नमः ।
इदमाचमनीयं ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ । ।
एष पुष्पाञ्जलिः ॐ ॐ ससीतरामलक्ष्मणाभ्यां नम:३ ।।

वायु-पूजन-

पुनः अक्षत सँ-
ॐ वायो इहागच्छ इहतिष्ठ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयंस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ वायवे नमः।
एहि प्रकारें वायुक पञ्चोपचार पूजा करी ।

नवग्रह-पूजा-

पुन: अक्षत लए-
ॐ भूर्भुवःस्वः साधिदैवतसप्रत्यधिदैवतविनायकादिपञ्चकसहितनवग्रहा इहागच्छत इह तिष्ठत ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ साधिदैवतसप्रत्यधिदैवतविनायकादिपञ्चकसहितनवग्रहेभ्यो नमः३॥
एहि प्रकारें चन्दनादि सँ पञ्चोपचारें नवग्रहक पूजा कए,

इऩ्द्रादिदशदिक्पाल-पूजा-

पुन: अक्षत- ॐ ॐ भूर्भुवःस्वः इन्द्राददिशदिक्पाला इहागच्छत इह तिष्ठत ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ इन्द्रादिदशक्पालेभ्यो नमः ३ ।
एहि प्रकारें पञ्चोपचारसँ दिक्पालक पूजा करी ।

हनुमानक पूजा

पुन: तामाक सराइमे षट्कोण यन्त्र लिखि ताहिमे हनुमानजीक आवाहन कए पूजा करी।
हाथमे फूल अक्षत लए
ॐ तप्तकाञ्चनसंकाशं हृदये निहिताञ्जलिम्।
किरीटिनं कुण्डलिनं ध्यायेद्वानरनायकम् ।। ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ॐ हनुमन् इहागच्छ इह तिष्ठ ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ हनुमते नमः ३ ।
इदमनुलेपनं ॐ हनुमते नमः ।
इदं सिन्दूरं ॐ हनुमते नमः ।
इदमक्षतं ॐ हनुमते नमः ।
एतानि पुष्पाणि ॐ हनुमते नमः ।
इदं वस्त्रं बृहस्पतिदैवतं ॐ हनुमते नमः १।
इमे यज्ञोपवीते बृहस्पतिदैवते ॐ हनुमते नमः १ ।
एतानि गन्धपुष्पधूपदीपताम्बूलनानाविधनैवेद्यानि ॐ हनुमते नमः ।
इदमाचमनीयं ॐ हनुमते नमः ।
एष पुष्पाञ्जलिः ॐ हनुमते नमः ।
एहि प्रकार पूजा कए, ध्वजाक हेतु खाधि खूनि, ताहि पर पृथिवीक पूजा करी ।

पृथिवी-पूजा-

ॐ पृथिवि ! इहागच्छ इह तिष्ठ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ पृथिव्यै नमः३।
एहि प्रकारें चन्दनादिसँ पञ्चोपचारें पूजा कए, ध्वजाक आरोपण करी ।

सपताकध्वज-पूजा-

पुनः अक्षत लए
ॐ सपताकध्वज इहागच्छ इह तिष्ठ ।
एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ सपातकध्वजाय नमः ३ ।
एहि रूपैं पञ्चोपचारें पूजा करी ।

उत्सर्ग-

पुन: तेकुशा तिल जल लए-
अमुं सपताकध्वजं विष्णुदैवतं ॐ हनुमतेऽहं ददे ।
ॐ देवासुराणां सर्वेषां मङ्गलोऽयं महाध्वजः।
गृह्यतां सुखहेतोर्मध्वजः श्रीपवनात्मज।। अयं सपताकध्वज: ॐ हनुमते नमः ।
एहि प्रकारें ध्वजोत्सर्ग कए

हनमानजीक आरती करी।

आरतीक बाद पुष्पाञ्जलि दए,

हनुमानजीक प्रार्थना-

ॐ अञ्जनीगर्भसम्भूतं वायुपुत्रं महाबलम्।
सीताशोकहरं देवं सुग्रीवस्य सदा प्रियम् ।।
प्रणमामि सदा भक्तया सर्वविघ्नविनाशनम् ।
रक्षोघ्नं वरदं शीघ्रगतिक सर्वकामदम् ।।
रामेष्टं फाल्गुनसखं रसिनः सुखकारकम् ।
समुद्रलंघनं देवं कार्यसिद्धयै नमाम्यहम्।।
एहि मन्त्रसँ प्रणाम कए

विसर्जन-

तेकुशा जल लए
ॐ पूजितदेवताः पूजिता:स्थ क्षमध्वम् स्वस्थानं गच्छत ।

दक्षिणा-

पुन: तेकुशा जल लए-
ॐ अद्य कृतैतत्सपरिवारहनुमत्पूजनसपताकध्वजरोपणकर्म-प्रतिष्ठार्थमेतावद्-द्रव्यमूल्यक-हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे।।
एहि प्रकारें दक्षिणा दान ओ विसर्जन कए उपस्थित लोकमे प्रसाद बाँटि भोजन करी ।।

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