सतीप्रथा

हमें पढ़ाया जाता है कि भारत में सतीप्रथा थी। पति की मृत्यु होने पर विधवा पत्नी को जिन्दा जला दिया  जाता था। इसे एक प्रचलित प्रथा कहकर अंगरेजों ने इसके लिए भारतीय धर्मशास्त्र को दोषी ठहराया और उसके उन्मूलन के लिए मुहिम चलायी। इस प्रकार, उन्होंने भारतीय धर्मशास्त्र में अमानवीयContinue Reading

भारतीय अवधारणा है कि हमारे पूर्वज हमारी सभी क्रिया-कलापों को देखते हैं। वे समय-समय पर हमें आशीर्वाद देते हैं, हमारी गलतियों पर कुपित भी होते हैं। उन्हें प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए हम प्रतिदिन उन्हें जल अर्पित करते हैं अथवा कम से कम पितृपक्ष में जल देते हैं। उनकी कृपा से हमारी उन्नति होती है।Continue Reading

Arya Samaj

जॉन मुइर की पुस्तक ‘मतपरीक्षा’ तथा दयानन्द के ‘सत्यार्थप्रकाश’ का ‘साइड इफैक्ट’ सन् 1868ई. की बात है। जॉन मुइर की पुस्तक ‘मतपरीक्षा’ का हिन्दी संस्करण प्रकाशित हुआ। फादर रुडॉल्फ ने इसे लुधियाना से प्रकाशित कराया। इसमें ‘मतपरीक्षा’ के दोनों भाग एक साथ प्रकाशित किये गये। इसका पहला भाग था, जिसमेंContinue Reading

sankar suvan

हनुमान चालीसा में ‘संकर सुवन केसरी नंदन’ पंक्ति में सुवन शब्द के अर्थ को लेकर भी भ्रान्तियाँ फैल रही है।
सुवन/सुअन शब्द का अर्थ होता है- पुत्र यानी बेटा।
तुलसीदासजी ने इस शब्द का प्रयोग कहाँ कहाँ किया है, यह देखना चाहिए-Continue Reading

bipra-dhenu--

लाला बैजनाथ ने Modern Hindu Religion And Philosophy यानी आधुनिक भारतीय धर्म एवं दर्शन पर व्याख्यान दिया था। इस व्याख्यान के अंतर्गत उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस के विषय में जो कुछ लिखा है, वह इस विषय में कहा गया सबसे महत्त्वपूर्ण व्याख्यान प्रतीत होता है। वे लिखते हैं- ‘आधुनिक राम वाल्मीकि के राम नहीं है, जो कि उनके समकालीन थे, वे आज तुलसीदास के राम हैं, जो 1600ई. के आसपास हुए थे औऱ उनका प्रभाव उनके जीवनकाल से अधिक आज के समाज पर है।”Continue Reading

bipra-dhenu--

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार भगवान् श्रीराम के अवतार लेने के बारे में गोस्वामीजी कहते हैं कि वे ब्राह्मण, गाय, देवता तथा संत की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। स्पष्ट है कि जो लोग इस पृथ्वी पर कष्ट पाते हैं और कष्ट का अंत करने केContinue Reading

वैताल-साधना

वैताल साधना सीखने के लिए बौद्धों को पूछें। हर आदमी चाहता है कि वह इतना शक्तिशाली बन जाये ताकि वह जो चाहे, उसे मिले। यही प्रवृत्ति इसे पतन के गर्त तक ले जाती है। इसीके लिए तंत्र-मंत्र, जादू-टोना सब काम करने पर वह उतारू हो जाता है। वह इस दुनियाँContinue Reading

sama-chakeba ki kahani

लेखिका – श्रीमती रंजू मिश्रा द्वारा, श्री बी.के. झा, प्लॉट सं. 270, महामना पुरी कालोनी, बी.एच. यू., वाराणसी धर्मायण, महावीर मन्दिर, पटना, 2022ई. अंक संख्या 125, पृ. 62-70 सम्पादक पं. भवनाथ झा की टिप्पणी : सामा-चकेबा मिथिला का लोकपर्व है। इसकी मूल-कथा कृष्ण, उनकी पुत्री साम्बा, पुत्र साम्ब, उनका एकContinue Reading

मगध में कब से होती है सूर्य पूजा

मित्रमिश्र संकलित धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ वीरमित्रोदय के पूजा प्रकाश नामक चौथे खण्ड में भगवान् आदित्य की उपासना का प्राचीन विधान संकलित किया है। इसमें एक विशिष्ट स्तुति मिली है। आप सभी छठ पूजा के अवसर पर इसका पाठ कर लाभ उठायें-Continue Reading

Bhaiya dooj and godhana in Bhojpuri culture

भोजपुरी-संस्कृति फूहड़ नहीं, सनातन की कोमलता और मानवीयता से भरी-पूरी है- ‘धर्मायण’ पत्रिका, महावीर मन्दिर, पटना प्रकाशन
आज भले हम भोजपुरी गीतों में अश्लीलता और फूहड़पन पाते हैं, पर यहाँ की मूल धारा कहीं से भी फूहड़ नहीं। सनातन संस्कृति की वहीं धारा यहाँ भी आज विभिन्न पर्वों और त्योहारों के अवसर पर हम देखते हैं। भैया-दूज की ही परम्परा लें तो हमें भाव-विह्वल कर देने वाली संस्कृति यहाँ देखने को मिलती है।Continue Reading