रामायण का पूर्वोत्तर पाठ

1806 ई. में विलियम कैरी एवं जॉशुआ मार्शमैन के सम्पादन में वाल्मीकीय रामायण का प्रकाशन हुआ।

विलियम कैरी एसियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल के सदस्य थे। वाल्मीकि रामायण का प्रकाशन गद्यानुवाद के साथ किया, जो 3 खण्डों में सेरामपुर प्रेस से 1806-07 में प्रकाशित हुआ। इन्होंने बंगाल के स्थानीय पाठ का अनुसरण किया था। इसका प्रथम खण्ड बालकाण्ड तथा शेष दो खण्डों में अयोध्याकाण् का प्रकाशन हुआ। चौथा खण्ड भी प्रकाशन के लिए तैयार कर प्रेस में भेजा गया था, लेकिन 1813 ई. में प्रेस में भयंकर आग लगने कारण अरण्यकाण्ड नष्ट हो गया। विलियम कैरी द्वारा किये गये कार्य का अनुसरण करते हुए बाद में गोरेशियो ने वाल्मीकीय रामायण का गौडीय संस्करण तैयार किया।

विलियम कैरी ने रामायण एवं महाभारत का बंगला अनुवाद करने का भी कार्य किया था, जो उस समय के विद्वानों के बीच बहुत आदृत हुआ।

विलियम कैरी के द्वारा जिस वाल्मीकि रामायण प्रकाशन हुआ उन्हें यहाँ पढा जा सकता है।

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